बुढ़ापा ऐसा क्यों?

















हौंसला चुप है,
किसी ओट में छिपा,
मायूस, करवटें बदल,
पहाड़-सी रात,

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धुंधली यादों में,
जीवन कट रहा,
कचोट रहा कुछ,
धीरे-धीरे ही सही,

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सिमट रहा मैं,
खुद में चुपचाप,
हाय! यह बुढ़ापा ऐसा क्यों?

-Harminder Singh